Tera jaisa koi nahi maaaa

CA Pallav Singhania (IT System Auditor) (33678 Points)

06 August 2013  

 

माँ के हाथों की बनी जब दाल रोटी याद आई
पंचतारा होटलों की शान शौकत कुछ न भाई 


बैरा निगोड़ा पूछ जाता किया जो मैंने कहा
सलाम झुक-झुक करके मन में टिप का लालच रहा


खाक छानी होटलों की चाहिए जो ना मिला
क्रोध में हो स्नेह किसका? कल्पना से दिल हिला

 

प्रेम मे नहला गई जब जम के तेरी डांट खाई
माँ के हाथों की बनी जब दाल रोटी याद आई

 

तेरी छाया मे पला सपने बहुत देखा किए
समृद्धि सुख की दौड़ मे दुख भरे दिन जी लिए


महल रेती के संजोए शांति मै खोता रहा
नींद मेरी छिन गई बस रात भर रोता रहा

 

चैन पाया याद करके लोरी जो तूने सुनाई
माँ के हाथों की बनी जब दाल रोटी याद आई

 

लाभ हानि का गणित ले ज़िंदगी की राह में
जुट गया मित्रों से मिल प्रतियोगिता की दाह में


भटका बहुत चकाचौंध में खोखला जीवन जिया
अर्थ ही जीने का अर्थ, अनर्थ में डुबो दिया

 

हर भूल पर ममता भरी तेरी हँसी सुकून लाई
माँ के हाथों की बनी जब दाल रोटी याद आई।

 

 

- हरिहर झा

 

Regards,