Salute to steve jobs !!!

RG - A Helping Hand (Company Secretary) (13867 Points)

07 October 2011  

 
 

सिलिकॉन वैली के आइकॉन स्टीव जॉब्स अब भले हमारे बीच न हों, लेकिन उनके द्वारा दिए हुए तकनीकी तोहफों को दुनिया कभी नहीं भुला पाएगी। एक नजर कामयाबी भरे उनके सफर पर..

दुनिया को बदलने का श्रेय 3 एपल्स को जाता है। पहले एपल ने ईव को बहकाया, दूसरे ने न्यूटन को रास्ता दिखाया और तीसरा 14 साल तक स्टीव के हाथों में रहा। बिल गेट्स से एक बार किसी ने पूछा कि किस सीईओ से वे ज्यादा प्रभावित हुए हैं तो जवाब था स्टीव जॉब्स। दुनिया को आईमैक, आईपॉड, आईफोन, आईट्यूंस, आईपैड और आईक्लाउड जैसे लोकप्रिय प्रोडक्ट्स देने वाले स्टीव जॉब्स बाजार के अच्छे रणनीतिकार भी थे और कभी हिम्मत नहीं हारते थे। उनके साथ काम कर चुके केन सीगल का कहना था कि स्टीव ने कभी अपने ऊपर बाजार को हावी नहीं होने दिया क्योंकि वे बाजार पर हावी होने की रणनीति जानते थे।

जॉब्स और एपल : स्टीव जॉब्स ने कभी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं की। स्टीव ने केवल एक सेमेस्टर पूरा करने के बाद कॉलेज छोड़ दिया। 1 अप्रैल, 1976 को सिलिकॉन वैली में पिता के गैराज में कॉलेज के दोस्त स्टीव वोच्नियाक के साथ मिल कर पहला कम्प्यूटर एपल-1 बनाया, जो 666.66 डॉलर में बिका। उसी दौरान उन्हें एक लोकल स्टोर से 50 मशीनों का ऑर्डर आया। पैसे नहीं थे तो एपल कम्प्यूटर कंपनी को फाइनेंस करने के लिए 21 साल के स्टीव ने अपनी फॉक्सवैगन वैन भी बेच दी। कंपनी में जहां जॉब्स सेल्स का काम देखते थे तो वोच्नियाक इंजीनियर की तरह काम करते थे। खुद वोच्नियाक ने भी उनके बारे में कहा था कि शुरुआती दिनों में जब भी मैं कुछ नया डिजाइन करता था तो जॉब्स कहते थे कि चलो बेचते हैं।

एपल-2 व मैक से हिट : एपल-1 सिर्फ शुरुआत था। एपल को कामयाबी दिलाई एपल-2 ने। इसने लोगों के घरों तक पहुंच बनाई। इसकी बिक्री 1978 में 78 लाख और 1980 में बढ़ कर 1 करोड़ 17 लाख तक पहुंच गई। उस वक्त स्टीव मात्र 25 साल के थे। उसी साल पहली बार एपल का पब्लिक इश्यू आया। मैक ने एपल-2 की सफलता को भी पीछे छोड़ दिया। यह पहला पीसी था जिसमें आइकंस और माउस के रूप में ग्राफिक यूजर इंटरफेस (जीयूआई) था। जीयूआई को बाद में माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।

एपल के बाद : 1985 में मात्र 30 साल की उम्र में स्टीव ने एपल को 2 बिलियन डॉलर वाली कपंनी बना दिया। उसी दौरान सीईओ जॉन स्कूले से मनमुटाव के कारण स्टीव ने एपल छोड़ दिया और नई कंपनी नेक्स्ट कंप्यूटर इंक. बनाई लेकिन 1993 में इसके हार्डवेयर आपरेशंस बंद कर दिए।

एनिमेशन स्टूडियो : एपल से अलग होने के बाद स्टीव ने 1986 में फिल्म डायरेक्टर जॉर्ज लुकास की कंपनी द ग्राफिक्स ग्रुप्स 10 लाख डॉलर में खरीद ली जिसका नाम पिक्सर रखा गया। द टॉय स्टोरी, फांइडिंग नीमो, अ बग लाइफ और मॉन्सटर इंक. जैसी ग्राफिक्स फिल्मों ने उन्हें दोबारा हिट बना दिया।

एपल में वापसी : 1996 में एपल के सीईओ एमेलियो ने नेक्स्ट को 40 करोड़ में खरीद लिया और 8 माह के भीतर जॉब्स फिर एपल के सीईओ बन गए। 2010 में जॉब्स मात्र 1 डॉलर सैलरी लेते थे।

आईमैक का करिश्मा : 1998 में लॉन्च हुए आईमैक में कम्प्यूटर और मॉनिटर एक ही यूनिट में था। आईमैक ने एपल को एक बार फिर बाजार का सरताज बना दिया। 2007 में कंपनी के रेवेन्यू में अकेले मैक की हिस्सेदारी 43 फीसदी थी।

लोगों से मिली पहचान : 1976 में एपल कंपनी का जो लोगो डिजाइन किया गया उसमें सर इजॉक न्यूटन एक पेड़ के नीचे बैठे हुए हैं। जिसके बाद कॉरपोरेट लोगो डिजाइनर रॉब जेनोफ ने इंद्रधनुषी रंग वाले एपल का लोगो बनाया। स्टीव ने एपल के लोगो को बाइट के साथ डिजाइन किया ताकि वह सेब खाया हुआ लगे और दूसरे फलों से अलग दिखे। यही लोगो एपल की नई पहचान बन गया।

'आई' का जादू : एपल की सफलता के पीछे 'आई' शब्द का योगदान है। मई 1998 में मैक का नया अवतार लॉन्च करने की तैयारी थी। स्टीव उसे मैक से जोड़ना चाहते थे क्योंकि मैक्निटॉश फैमिली का था। इसी दौरान स्टीव ने 'आई' शब्द लगाने का सुझाव दिया। स्टीव का तर्क था कि यह मशीन इंटरनेट के लिए डिजाइन की गई है।

भारत से प्यार : स्टीव कहते थे उस क्षण को वह कभी नहीं भूल पाएंगे जब उन्होंने कॉलेज छोड़ने का फैसला किया। वह दोस्तों के साथ जमीन पर सोते थे और रविवार को दोस्तों के साथ 11 किमी पैदल चल कर खाने के लिए हरे कृष्णा मंदिर आया करते थे। भारतीय अध्यात्म में स्टीव की गहरी रुचि थी। 18 साल की उम्र में 1974 में स्टीव अपने दोस्त देन कोटके साथ आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में भारत आए थे। कैंची स्थित नीम करोली बाबा के आश्रम में जाकर अध्यात्मवाद और अस्तित्ववाद का ज्ञान लेना चाहते थे। लेकिन बाबा के निधन के बारे में जान वे वापस लौट गए। वे जब अमेरिका लौटे तो बौद्ध बन कर। उन्होंने सिर मुंडवा लिया था और पारंपरिक भारतीय वस्त्र पहनने शुरू कर दिए थे। पूर्ण रूप से शाकाहारी बन चुके थे।