सजग नागरिक सूचना का अधिकार – जानिये और काम मे लीजिए – सी.ए. सुधीर हालाखंडी- |
देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था द्वारा भारतीय नागरिको को वर्ष २००५ मे “सूचना के अधिकार” के कानून के रूप में जो तोहफा दिया गया है उसे देश की आजादी के ६० साल के बाद का नागरिको के हाथ में दिया गया सबसे बड़ा अधिकार कहा जा सकता है और यदि देश की जनता इस अधिकार का समझदारी एवं सजगता से प्रयोग करे तो सारा प्रशासन ही पूरी तरह पारदर्शी होकर जिम्मेदार भी हो जाएगा.
आइये देखें किस तरह आप इस अधिकार का प्रयोग कर सकते है .
आप यदि केन्द्र या राज्य सरकार के किसी भी विभाग से कोई सूचना मांगना चाहे तो इसकी प्रणाली काफी सीधी एवं सरल है – जिस विभाग से आप सूचना चाहते है, को एक प्रार्थना पत्र लिखेंगे एवं चाही गई सूचना का उल्लेख करते हुए वांछित शुल्क का भुगतान करेंगे . यह शुल्क भी काफी कम अर्थात केवल १० रुपये (दस रुपये ) ही रखा गया हे जिसका भुगतान आप नगद, बेंक ड्राफ्ट या पोस्टल आर्डर द्वारा भी कर सकते हे.
सूचना के अधिकार के तहत सूचना पाने के लिए प्रार्थना पत्र भी काफी सरल एवं सादा है और केवल एक ही पेज का का ही है एवं आसानी से उपलब्ध है. यदि इसे पाने में कोई दिक्कत हो तो इसे आप राजस्थान सूचना आयोग की वेब – साईट www.ric.rajasthan.gov.in से भी डाउनलोड कर सकते है.
इस अधिकार के तहत एक ही प्रार्थना पत्र में मांगी गई सूचनाओं की संख्या पर भी कोई पाबंदी नहीं है लेकिन समझदारी यही है कि सूचनाएं माँगते समय जरुरी सूचनाएं मांग कर ही प्रार्थना- पत्र को सीमित रखा जाए ताकि इस प्रार्थना – पत्र की सार्थकता बनी रहे . कुछ राज्यों से इस संबंध में एक प्रार्थना- पत्र में एक ही सूचना एवं शब्दों की संख्या भी सीमित रखने की मांग की जा रही है . यदि आपको यह प्रार्थना – पत्र लिखने में कोई दिक्कत आती है तो सम्बधित विभाग का सूचना अधिकारी इसे भरने में भी आपकी मदद करेगा.
यहाँ ध्यान रखे कि आपको सूचना पाने के लिए केवल आपका नाम एवं पता ही देना है इसके अतिरिक्त कोई और जानकारी देने की आवश्यकता नहीं है . आप सूचना क्यों जानना चाहते हैं, उस सूचना का आप क्या प्रयोग करेंगे या आपका चाही गई सूचना से क्या संबंध हैं इसका उल्लेख आपको प्रार्थना पत्र में करने की कोई आवश्यकता नहीं हैं . यदि आप सूचना से संबंधित कोई दस्तावेज देख्नना चाहते है या उसकी नक़ल भी चाहते है तो आपको उसका उल्लेख भी इस प्रार्थना में पत्र में अवश्य कर दे . दस्तावेज देखने फीस भी काफी कम रखी गई है एवं यह पहले एक घंटे के लिए देय नहीं है एवं उसके बाद केवल ५ रुपये प्रति घंटे ही है.
आप यहाँ जानना चाहेंगे कि आपको यह प्रार्थना पत्र कहां पेश करना होगा एवं इसका जवाब एवं सूचना कौन एवं कब देगा . आपको यह प्रार्थना पत्र उसी विभाग में लगाना होगा जिससे आप सूचना चाहते है और इसके लिए प्रत्येक राज्य एवं केन्द्र सरकार के विभाग को अनिवार्य एक सूचना अधिकारी एवं एक उप –सुचना अधिकारी की अनिवार्य रूप से नियुक्ति करनी होती है . आप यह “सूचना के अधिकार” के तहत सूचना प्राप्त करने का प्रार्थना पत्र स्वयं विभाग में जाकर पेश कर सकते हैं और इसके लिए आपको प्रार्थना पत्र की एक रसीद भी उसी विभाग द्वारा जारी की जायेगी . इस संबंध में आप यदि वांछित फ़ीस के रूप में १० रुपये (दस रुपये ) नगद जमा कराना चाहते हैं तो उस विभाग को यह राशि आपसे जमा कर रसीद भी जारी करने होगी . यदि आप चाहे तो यह राशि बैंक ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर के जरिये भी जमा करा सकते हैं . आप यह प्रार्थना पत्र रजिस्टर्ड डाक या स्पीड पोस्ट से भी भेज सकते है. यहाँ ध्यान रखें चूँकि कुरियर से भेजी गई डाक की डिलीवरी के लिए सबूत जुटाना थोड़ा मुश्किल होता है अत: इसे कुरियर से भेजने की जगह रजिस्टर्ड डाक या स्पीड पोस्ट से ही भेजे. .
यह कानून आपको इस अधिकार के तहत वांछित सूचना से जुड़े दस्तावेजों का निरिक्षण करने , प्रतिलिपि लेने एवं उसके प्रामाणिक नमूने लेने का अधिकार भी देता है
यह सूचना विभाग द्वारा अधिकतम ३० दिवस मे आपको उपलब्ध करवा दी जायेगी और यदि आपने किसी दस्तावेज की प्रतिलिपि मांगी है तो सामान्यतया यह प्रतिलिपि २ रुपये प्रति पृष्ट की फ़ीस दी दर से आपको उपलब्ध करवा दी जायेगी. इसके अतिरिक्त यदि सूचना उपलब्ध करवाने में कोई खर्च होगा उसकी सूचना आपको दे दी जायेगी जिसके जमा करने पर आपको वांछित सूचना उपलब्ध करवा दी जायेगी. यहाँ यह ध्यान रखें कि यदि सूचना किसी व्यक्ति के “जीवन या स्वन्त्रत्र्ता” से सम्बन्धित हैं तो सूचना प्रार्थना पत्र प्राप्ति के ४८ घंटे के भीतर ही उपलब्ध करवाने की बाध्यता उस विभाग के सूचना अधिकारी पर है. यदि प्रार्थना पत्र उप – सूचना अधिकारी के समक्ष पेश किया गया है तो सूचना अधिकारी को जवाब देने के लिए ५ अतिरिक्त दिनों का समय मिलेगा.
यदि सक्षम अधिकारी द्वारा वांछित सुचना आपको निर्धारित ३० दिन मे उपलब्ध नहीं करवाई जाती हैं या आप इस सूचना की पूर्णता से संतुष्ट नहीं है तो आप आपील के लिए भी कार्यवाही कर सकते है .इसके लिए प्रत्येक विभाग का “सूचना अधिकारी का वरिष्ट अधिकारी” अपील अधिकारी के रूप मे कार्य करेगा और यहाँ ध्यान रखे कि अपील का प्रारूप भी केवल एक ही पेज का है और ऊपर बताई गई वेब- साईट पर भी उपलब्ध है. यह अपील, आपको यदि सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई है, तो निर्धारित समय बीतने के ३० दिवस के भीतर करनी होगी और यदि सूचना उपलब्ध करवा दी गई है लेकिन आप उससे संतुष्ट नहीं है तो ऐसी सूचना के प्राप्त होने के ३० दिन के भीतर करनी होगी . आपके द्वारा की गई यह अपील “प्रथम अपील” कहलाएगी.
यदि आप इस प्रथम अपील से के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं या ३० दिवस के भीतर अपील का फैसला नहीं होता हैं तो आप द्वितीय अपील के लिए भी जा सकते है एवं यह अपील “राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त” और यदि केन्द्रीय विभाग से जुडी सूचना है तो “केन्द्र के मुख्य सूचना आयुक्त” के समक्ष की जायेगी जिसे आप ३० दिन में फैसला नहीं होने पर इस अवधि की समाप्ति के या जो फैसला हुआ है उससे आप संतुष्ट नहीं है तो फैसला होने के , ९० दिन के भीतर कर सकते है. यह अपील भी दो प्रतियों में करनी होगी एवं इसे निर्धारित प्रारूप में ही भरना होता हे.
यदि आपको निर्धरित समय में सूचना नहीं मिलती है और या आपको दी गई सूचना पूरी नहीं हैं एवं सूचना अधिकारी के पास ऐसी देरी या अपूर्णता के लिए कोई “ समुचित कारण” भी नहीं है तो राज्य विभागों के लिए “राज्य सूचना आयोग” एवं केन्द्रीय विभागों के लिए “केन्द्रीय सूचना आयोग” २५०.०० रूपए (दो सौ पचास रुपये ) प्रतिदिन की पेनाल्टी लगा सकता है एवं इस पेनाल्टी की अधिकतम राशि २५०००.०० रुपये तक हो सकती है. इसके लिए आप अपील के साथ – साथ आयोग में शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं.
सूचना के अधिकार का प्रयोग आप अपने हर उस मामले में भी कर सकते है जहाँ आपको लगता हैं या आशंका हैं कि किसी भी सरकारी विभाग या अधिकारी की कार्यवाही में आपके साथ कानून सम्मत व्यवहार नहीं हुआ हैं या आप जैसे ही किसी मामले में किसी और के साथ “नियम और प्रक्रिया” के तहत पक्षपात हुआ हैं . यहाँ बात आपके “हित और अहित” या किसी और के “हित या अहित” की नहीं है , सवाल एक लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में “न्याय सम्मत व्यवहार एवं समानता का है” एवं आपके नागरिक अधिकारों के हनन का है और जहाँ आपको लगता है कि किसी विभाग द्वारा इस “समानता एवं न्याय ” के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया है या नहीं किया जा रहा है आप इस कानून के तहत सूचना मांग सकते हैं.
सूचना के अधिकार के तहत केन्द्र एवं राज्य के सभी कार्यालय, केन्द्र एवं राज्य के कानून के तहत बने निकाय एवं संस्थाए , जिनमे ग्राम पंचायत , नगर निगम, नगर परिषद एवं नगर पालिकाए भी शामिल है, एवं ऐसी सभी संस्थाए जों कि मुख्य रूप से राजकीय कोष से वित्त पोषित है , आती है और इसका दायरा जनता को वांछित सूचनाए दिलवाने के लिए काफी विस्तृत बनाया गया है.
आप इस कानून के प्रभाव देखे तो आप पाएंगे यह सरकारी विभागों और विशेष रूप से लोकहित से जुड़े सभी मामलों को पूरी तरह से पारदर्शी कर सकता है और यह आप सभी जानते हैं कि जहाँ “पारदर्शिता” होती है वहाँ नियमों और प्रक्रियाओं के साथ छेड़छाड़ ना सिर्फ न्यूनतम हो जाती है बल्कि इसके कभी भी उजागर होने का डर भी पैदा करती है जिससे लोक अधिकारियो में उत्तरदायित्व की भावना भी उदय होगा और यहाँ याद रखें कि लोक अधिकारियों के व्यवहार को पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व के भावना से भरना ही इस नागरिक कानून का मुख्य उद्देश्य है .
समाप्त
सी .ए . सुधीर हालाखंडी
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