"सी.ऐ की दास्तान"
यारो में आज सुनाऊंगा आपको एक ऐसी दास्तान
जिसे सुनकर रह जाएंगे आप तो हैरान ही हेरान.
आज में करने जा रहा हू एक ऐसे सी.ए.को सलाम
जिसने कर दीया था वेकेशन अपना सीपीटी के नाम.
लगा दी थी अपनी पूरी ताकत सब सेक्शन के साथ
सुनसुन के नयी क्लोजिस पका दिये थे अपने कान.
चुकाई थी बड़ी किंमत करने को आई.पि.सी.सी.पास
तब जाके लगा था उसको आर्टिकलशिप का चान्स.
महीनो तक किये थे सिर्फ बॉस के टेबल को साफ
तब जाके मुश्किल से मिलाथा एक ऑडिट का काम.
करते थे छोटे स्टाईपेंड से सब पार्टी और नाचगान
गर्लफ्रेंड के लिए तो बचता था सिर्फ प्यार ही प्यार.
बहुत की थी छेड़छाड़ अपनी मासूम जिंदगी के साथ
अब तो दिखाई देता था सिर्फ सी.ऐ बनने का ख्वाब.
बन गई थी गहरी दोस्ती अब तो टेक्सेशन के साथ
प्यारासा रिश्ता तो पहेले से ही था अकाउंट के साथ.
अब तो चल पड़ा वो अपनी मंज़िल को करने पार
आई.सी.ए.आई भी फ़िदा हो गई ऐसा कियाथा वार.
करता हे अब तो सारा दिन अपने हस्ताक्षर से बात
आज दे रहे हे बड़ेबड़े साहब भी उसको गर्व से प्रणाम.
कर रहा हू आज सब ऐसे लोगो को दिल से सलाम
कर ली हे सारी जिंदगी जिन्होंने एक सी.ऐ. के नाम.