ONLY MONEY IS NOT MATTER

shailesh agarwal (professional accountant)   (7642 Points)

06 July 2009  

 मनी ही मुद्दा नहीं 

2 Jul 2009, 1127 hrs IST,हेलो दिल्ली  

 
अमेरिका की एक स्टाफिंग सॉलूशन्स कंपनी ने हाल ही में कुछ ऐसे लोगों को अपने यहां रखा, जो पिछली जॉब में ले-ऑफ का शिकार हुए थे। अहम बात यह र
 
ही कि वे सभी पिछली सैलरी से कम में आए थे। ज्यादातर ने कंपनी की रेप्युटेशन के चलते ऑफर स्वीकार करने में गंभीरता दिखाई और सैलरी हाईक की बजाय परफ़ॉर्मन्स बेस्ड इंसेटिव्स की मांग की। सैलरी को लेकर उनका सोचना था कि उनका काम उनकी काबिलियत के बारे में बोलेगा, जिससे कंपनी खुद उनके पैकिज का रिव्यू करेगी। देर-सवेर वे अपनी परफ़ॉर्मन्स के बलबूते यहां भी पुराना स्ट्रक्चर जल्दी पा लेंगे। इस तरह, इस कंपनी को भी अपने फिक्स्ड सैलरी लेवल को तोड़े बिना कहीं ज्यादा क्षमतावान लोग मिल गए। 



यह घटना मौजूदा क्राइसिस में इंटरव्यू के दौरान सैलरी नेगोशिएशंस पर ध्यान खींचती है। जॉब कट के माहौल में सिर्फ सैलरी को लेकर ऑफर ठुकराना सही है या नहीं, इस पर विचार करने की जरूरत है। समझदार युवा किसी ऑफर को स्वीकार करने के लिए प्रैक्टिकल अप्रोच रख रहे हैं, इसलिए सारी बातें कल्पनाओं से नीचे वास्तविक शर्तों पर तय हो रही हैं। 



इस बारे में एक आउटसोर्सिंग मल्टीनैशनल कंपनी की एचआर हेड मलाथी राय कहती हैं, 'प्राइस क्या है, एक प्रॉडक्ट की कीमत। यह सही है या नहीं, इसका पता उस लाभ से चलता है, जिसे कंस्यूमर प्रॉडक्ट से हासिल करता है। अगर आप एक कोल्ड-ड्रिंक को रेगिस्तान की तपती दोपहरी में जबर्दस्त प्यास बुझाने के लिए पीते हैं तो इसकी वैल्यू उस समय से कहीं ज्यादा होगी, जब आप इसे साधारण स्थिति में पीएंगे। यही बात आज के कड़े जॉब मार्किट में लागू है। इस मुश्किल दौर ने हर एम्प्लॉयी की नेगोसिएशन पावर कम कर दी है। हालांकि टैलंटेड एम्प्लॉयी को कंपनी तक लाना आज भी आसान नहीं है, इसलिए युवाओं को ध्यान रखना चाहिए कि अगर उनमें आत्मविश्वास, टैलंट, स्किल्स और खुद को प्रूव करने की क्षमता है, तो हर बेतुके ऑफर को स्वीकार न करें। वे आज भी जायज मांग रख सकते हैं।' 



मलाथी की बातों से कुछ युवा यह अंदाजा लगाएंगे कि उन्हें सुनहरे दिनों की तरह हर चेंज पर 40-50 प्रतिशत हाईक की उम्मीद रखनी चाहिए। इस हिसाब से वे अपनी पिछली सैलरी के अनुसार नेगोशिएट भी कर सकते हैं। पर मलाथी इससे सहमत नहीं हैं। वह कहती हैं, 'अगर आप उन दिनों में मोटे इन्क्रिमन्ट्स के लिए सौभाग्यशाली रहे हैं, तो यह समय वास्तविकता पर लौटने का है।' एक्सर्पट्स कहते हैं कि अगर आपको कंपनी में वर्तमान के मुश्किल समय के बावजूद संभावना नजर आए, तो उसे जॉइन जरूर करना चाहिए। भले ही आपको सैलरी में कम हाईक क्यों न मिल रही हो? 



टिप्स 



हमने स्टोरी की शुरुआत में जिस अमेरिकी कंपनी की बात की, उसके भारत में एचआर हेड विशाल छिब्बर युवाओं को कुछ टिप्स दे रहे हैं, जैसे - 



- इस समय ज्यादातर कंपनियां फिक्स्ड सैलरी हाईक देने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन परफ़ॉर्मन्स बेस्ड इंसेटिव्स दे रही हैं। इन्हें स्वीकार किया जा सकता है। 



- लंबे समय के फायदों पर नजर रखें। हो सकता है कि मौजूदा कम सैलरी के बावजूद कंपनी से लंबे समय तक जुड़े रहने में फायदा मिले। 



- अपने प्रोफाइल के अतिरिक्त स्किल्स शार्प करें। इंटरव्यू में अतिरिक्त काम करने की भी पेशकश करें। इससे आप नेगोशिएट करने की स्थिति में होंगे। 



- अपने दोस्तों या पुरानी कॉलीग्स के साथ अपने सैलरी स्ट्रक्चर की तुलना करने से बचें। 



केस स्टडीज 



1. एक नामी सीमेंट कंपनी के रिक्रूटमंट हेड पीयूष थपलियाल अपना अनुभव बताते हैं, 'मैंने हाल ही में ऐसी पोस्ट के लिए इंटरव्यू लिया, जिसमें पर्याप्त स्किल्स वाले लोग बहुत कम मिलते हैं। योग्य होते हुए भी हम उस कैंडिडेट को रख नहीं सके, क्योंकि उसकी डिमांड कम से कम 50 प्रतिशत हाईक की थी। वह इससे कम पर समझौता करने के लिए तैयार नहीं था।' 



अपने इस अनुभव के आधार पर पीयूष इस समय 'मनी-माइंडेड' न होने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं कि इंटरव्यू में सिर्फ पैसे की बात करके एचआर मैनिजर से भी स्मार्ट बनने की कोशिश न करें। ध्यान रखें कि उनमें से ज्यादातर इस टॉपिक के एक्सर्पट्स होते हैं। इस मुद्दे पर जिद करना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा। 



2. एक रिसर्च कंपनी के सीईओ अजय त्रेहन भी अपना एक रोचक अनुभव बताते हैं, 'हम ऑपरेशंस की एक पोस्ट के लिए ऐसे कैंडिडेट से बात कर रहे हैं, जो पुरानी जॉब में छंटनी का शिकार हुआ। उसकी बातों से डिप्रेशन नहीं झलकता है। वह मुझसे लगातार संपर्क में है और हर बार कॉन्फिडंट नजर आता है। हमने उसे इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के अनुसार सैलरी की पेशकश की है।' 



इस अनुभव के आधार पर अजय धैर्य बनाए रखने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं, 'अगर आप जल्दबाजी दिखाएंगे, तो शायद जॉब नहीं पा सकेंगे या सैलरी से समझौता करना पड़ेगा। ले-ऑफ के बावजूद धीरज बनाए रखने पर आपको अपनी क्षमताओं के अनुसार जॉब भी मिलेगी और सैलरी भी।'