Mera pyara bachpan

CA Sumat Singhal (Credit Analyst/ Financial Services/ Accounts & Finance)   (3677 Points)

20 September 2011  
"लौटा दो माँ, मेरा बचपन" आज उमर के इस पड़ाव में, गुमशुम खोया सा बैठा हूँ. मूल्यवान कुछ खो बैठा हूँ, ऐसा क्यों है, क्यों है ऐसा? क्यों मैं वीराँ सा बैठा हूँ? नयन मूंद इक दिन कोने में, खामोशी ओड़े बैठा था. मन ही मन मैं सोच रहा था, ऐसा क्यों है, क्यों है ऐसा? तभी अचानक नन्हा मुन्ना, घोला-घोला (घोड़ा-घोड़ा) कह के मचला. भगता आकर अकस्मात ही, मेरी पीठ पर चढ़ कर बैठा. घूमा जयपुर, मुंबई दिल्ली, और जमकर, कर डाली मस्ती. बोला फिर वो.. मुझको ढूँढो, और फिर खेला.. कुश्तम-कुश्ती. छुपन-छुपाई, चोर-सिपाही, हार मेरी, थी जीत उसी की. मैं अब तक जो समझ न पाया, उस दिन मुझको समझ में आया. कहाँ गये माँ मेरे वो दिन? कहाँ गया माँ मेरा बचपन? मुन्ना के जाते ही अपनी, बूढ़ी माँ से रूठ गया मैं. बाँह पकड़ कर माँ की मैंने, उस दिन अपने पास बिठाया. और कहा माँ बतला भी दो, कहाँ गये वो.. मेरे वो दिन? कहाँ गया वो मेरा बचपन? मुझे चाहिये मेरा बचपन. हँसना रोना और मचलना, लड़ना तुझसे और झगड़ना. कहाँ गये माँ मेरे वो दिन? कहाँ गया माँ मेरा बचपन? कू..कू.. जब जब खेले हम तुम, मैं ही तुमसे आगे रहता. मैं छिपता तुम ढूँढ न पातीं, मैं तुमको झट ढूँढा करता. हार तुम्हारी सदा ही होती, फिर भी तुम हँसती रहतीं? हार अगर मेरी हो जाये, तब उदास तुम दिखती थीं? हार जीत के इसी खेल में, तब तुम ऐसा करती थीं. आँखें झुकीं तुम्हारी होतीं, हारे हुये सिपाही जैसे, तुम नीचे को मुँह कर लेतीं. मैं विजयी रण-बाँकुरा सा, सीना ताने चलता रहता. अकड़ अकड़कर कहता सबसे, जीत गया मैं, हार गई माँ, जीत गया मैं, हार गई माँ. कितना भोला नादाँ था मैं, कहाँ गये माँ मेरे वो दिन? सबसे पहले मैं ही सुनता, सबसे पहले मैं ही कहता. चाहूँ मैं जिस काम को करना सबसे पहले मैं ही करता. यहाँ वहाँ बस, मैं ही, मैं था, जो था, मैं था, बस मैं ही था. कहाँ गये माँ मेरे वो दिन? कहाँ गया माँ मेरा बचपन? ऊंच नीच का ज्ञान नहीं था, जात-पात का भान नहीं था. जो मैं कहता, वह होता था, पूरे घर में, राज मेरा था. माँ बाबा को जैसे केवल, एक अकेला काम मेरा था. मैं जब कहता, था आओ माँ, मैं जब कहता, था सोओ माँ. काम छोड़ कर उसी समय तुम, पास मेरे आ जाती थीं माँ. मुझसे फिर तुम बतिआतीं और, लोरी मुझे सुनाती थीं माँ. लोरी गाते गाते तुम भी, साथ मेरे सो जाती थीं माँ. कहाँ गये माँ मेरे वो दिन? कहाँ गया माँ मेरा बचपन? कितने सुंदर, कितने प्यारे, अच्छे थे माँ मेरे वो दिन. कहाँ गये माँ मेरे वो दिन? कहाँ गया माँ मेरा बचपन?