maa and beti

Mukesh Kumar Singh (CA-FINAL) (4094 Points)

11 July 2013  

माँ और बेटी प्रिय मम्मी, 8 GB की PEN DRIVE मेँ, थोडी सी जगह कम पड गई. नही तो, मेरा पुरा बचपन एक FOLDER मेँ डालकर, यहा ससुराल लेकर आ जाती. लेकिन, मेरा बचपन तो तेरी गोद मेँ ही रह गया. तेरी गोद मेँ, मै सर रखकर सो जाती थी, वो समय सोने(GOLD) का था. और इसिलिए वो चोरी हो गया. सोने की चीजो को तो मैँ पहले से ही संभाल ही पाती थी. कही भी खो जाती थी. घर पर थी तब,तु मुझे ढुँढ लेती थी. लेकिन अब ससुराल आने के बाद, खुद को भी नही ढुँढ पाती, तो दुसरी चीजे कहा से मिलेगी ? तु रोज सुबह , मेरे सर पर हाथ फेरकर उठाती थी. अब तो मुझे, ALARM रखना पडता है. जो साडी तु पहनती थी, वही साडी अब ALARM को पहनाती हु. लेकिन फिर पता नही कि ? ALARM इतने प्रेम नही उठा सकती. यह तेरी साडी का नही, ALARM का PROBLEM है आज भी रोना आता है, तब तेरी पुरानी साडी का पल्लु आँसुओ के सामने रख देती हु. आँसुओ को तो मुर्ख बना देती हु, लेकिनआँखो को कैसे बनाऊ ? आँखे भी अब, INTELLIGENT हो गई है. तुने मुझे TRAIN की, इसी तरह, मेरी आँखो को भी तुने ही TRAIN की है. इसिलिए मेरी आँखे,फिलहाल रोती नही. मम्मी, जब भी मैँ VEHICLE चलाती हु, तब पीछे बैठकर अब कोई नही कहता कि ‘धीरे चला ’. ‘धीरे चला ’ ऐसा कहने वाला अब कोई नही, इसिलिए ‘फास्ट’ चलाने की मजा नही आती. मम्मी, मेरे घर से ससुराल तक रास्ते मेँ, एक भी U-TURN आया नही. नही तो, मैँ तुझे लेने के लिए आती. शादी के बाद घर से ससुराल जाते समय, जिस गाडी मेँ बैठकर मैने विदाई ली थी, उस गाडी के ‘REAR-VIEW MIRROR’ मैँलिखा था कि ‘ OBJECTS IN THE MIRROR ARE CLOSER THAN THEY APPEAR’. बस, उसी काँच मेँ तुझे एक टक देखा था. तब, मुझे मालुम नही था कि जो रास्ता मुझे घर से ससुराल लेकर जा रहा है, वही रास्ता मुझे ससुराल से घर ले जा पाएगा ? मम्मी, कितने रास्ते ONE-WAY होते है. ऐसे रास्ते पर मैँ बहुत आगे निकल चुकी हु. किसी को मेरा पता पुछने का कोई अर्थ नही क्योकि मेरा SURNAME और पता, दोनो बदल गये है. लेकिन इन रास्तो के ऊपर WRONG SIDE मेँ भी DRIVE करके, तुझसे मिलने पक्का आँउगी. क्योकिँ , मेरा DESTINATION तो तु ही है , जहा से मेरी जिंदगी की JOURNEY शुरूआत की थी. मम्मी, मेरा DESTINATION और मेरी DESTINY दोनो तु ही तो है . मै बचपन से ही मेरी दुनिया का स्पेलिग ‘UWORLDU’ लिखती हु. क्योकिँ MY WORLD STARTS WITH YOU AND ENDS IN YOU. मम्मी, ससुराल आने के बाद भी मेरी दुनिया नही बदली. क्योकिँ, मेरी दुनिया तो तु है. प्यारी मम्मी की बेटी ( एक बेटी एक लडके जेसा सोच सकती है तो एक बेटा एक बेटी जैसा क्यु नही सोचता?)