“माँ तुमसे कितनी बार कहाँ करूँ मेरे कमरे में खटखटा के आया करो”
“अच्छा बेटा अगली बार से याद रखूंगी” माँ ने कहा “तुम इतनी देर से कंप्यूटर पर थी तो सोचा खाना यहीं दे दूँ”
“हाँ अब खाना भी यहीं रख दो..!!!
“डाइनिंग टेबल तो शो पीस है ना..!!”
“धिल्ले भर भी समझ नही है माँ तुम्हे..!!!”
माँ अपना सा मुंह ले के खाने की थाली वापस ले आई और खाना डाइनिंग टेबल पर लगा दिया, थोड़ी देर बाद परी अपने कमरे से बाहर आई और डाइनिंग टेबल की एक कुर्सी खींच कर बैठ गयी
“अब पानी के लिए अलग से कहा जायेगा तब रखोगी”
“तुम तो गाँव में ही रहती माँ शहर में आ के भी यहाँ के तौर तरीके नही सीख मिले तुमसे”
माँ चुपचाप सुनती रही और रसोई से पानी लाकर उसने डाइनिंग टेबल पे रख दिया
परी लखनऊ यूनिवर्सिटी के विधि संकाय से विधि स्नातक का कोर्स कर रही थी, पढाई में इतनी अच्छी कि अपने पूरे क्लास में वो टॉप करती थी
सबसे बड़ी कमी उसमे थी वो ये कि वो अपने माँ बाप से बेहद बद्तमीजी से बात करती थी. कभी सीधे मुंह बात नही करती थी, हर बात का उल्टा जबाब देना, और बात-बात पर उन्हें ताने देना
एक दिन परी के कैंपस में दृष्टी सामाजिक संसथान (एन. जी. ओ.) ने एक सेमिनार करवाया जिसका विषय था “कन्या भ्रूण हत्या”. जिसका संचालन एक जानी मानी सोशल एक्टिविस्ट निवेदिता वर्मा कर रही थी
“हेलो.!! बच्चों मैं निवेदिता... कैसे हैं आप सब.... पता है बहुत अच्छा लगता है जब मुझे आप जैसे होनहार बच्चों के बीच आने का मौका मिलता है........ चलिए आज हम आपसे एक ऐसे विषय पर बात करेंगे जो अपने आप में एक गंभीर समस्या है “कन्या भ्रूण हत्या”
“अच्छा मुझे कोई बताएगा की ये भ्रूण हत्या है क्या???”
परी ने हाथ उठाया और जवाब दिया
“जब किसी माँ के गर्भ में पल रहे शिशु को मार दिया जाये तो उसे कहते हैं भ्रूण हत्या”
“बहुत अच्छे बेटा”
“बच्चों क्या आप जानते हैं पंजाब में कन्या भ्रूण हत्या का ये आलम है की वहां हर पांच लड़के पर बस एक लड़की बची है”
“क्या आपको पता है कि यूपी और बिहार से लड़कियां लाकर उन्हें बेंच दिया जाता है और उन्हें गुलाम बना कर घर के सारे काम करवाए जाते हैं और उनका शोषण किया जाता है”
“चलिए मैं आपको एक वाकया बताती हूँ”
“मेरी ट्रेनिंग पीरियड के दौरान मैं प्रतापगढ़ इलाके में एक गाँव में गयी थी तो हुआ यूँ कि वहां की एक मजदूर औरत कमला ने मुझे बताया कि उसने एक बच्ची को जन्म दिया क्यूंकि उसके घर वाले नही चाहते थे कि उनके घर एक बेटी हो तो उन्होंने....... उस नन्ही सी बच्ची को...... मई की दोपहरी में... छप्पर पर फेंक दिया बच्ची ने रोते बिलखते दम तोड़ दिया...कमला को उसके घर वालों ने बताया की बच्ची मरी हुई पैदा हुई थी इसलिए उस का क्रिया करम कर दिया गया
“चार दिन बाद जब कमला वापस काम पर जाने के लिए छप्पर से हंसिया निकल रही थी”
“वो चीख पड़ी”
“हंसिये में फंस कर उसकी नन्ही सी बच्ची का शव खिंचा आया” “कमला बस बेसुध हो गयी और फूट फूट कर रोती रही”
“ये तो हुई प्रतापगढ़ की बात चलिए........ अब मैं आपको बताती हूँ एक और बात...... आपको पता है सरकार ने गर्भ निर्धारण पर दण्ड का प्रावधान किया है इसके बावजूद भी आपके ही इलाके के कई अस्पतालों में खुले आम गर्भ का निर्धारण करवाया जाता है..... और अगर गर्भ में पल रहा शिशु एक लड़की है तो उसे इस दुनिया में आने ही नही दिया जाता.....”
“हुह और अगर वो जन्म ले भी ले तो पूरे गाँव से दूध मंगाकर उसे उस दूध में डूबा के मार दिया जाता है ये बोल के कि अगले जन्म तू बेटा हो के आना.....”
परी के जहन में तुरंत उसके गाँव में रह रहे सगे ताऊ कौंध गये जिन्होंने अपनी ३ बेटियों को बरगद का दूध चटा कर मार दिया......
“ये कहाँ का इन्साफ है बच्चों क्या लड़की होना इतना बड़ा पाप है” क्या एक बेटी को जीने का हक नही है”
“बच्चों आप बहुत भाग्यशाली है क्यूंकि आपके माँ बाप जानते हैं की आप उनके लिए क्या अहमियत रखते हैं और सबसे बड़ी बात
“एक बेटी की कीमत बस वही जानते हैं जिनकी बेटियां होती हैं”
“बेटियों से घर आबाद होता है बच्चों और ये बात जितनी जल्दी सबकी समझ आएगी उतनी जल्दी समाज को इस कुरीति से छुटकारा मिल पायेगा”
परी को एहसास हो चला था की उसके माँ बाप ने उसे शहर ला कर इसलिए पाला क्यूंकि अगर वो गाँव में होती तो उसके ताऊ ने अपनी बेटियों की तरह उसे भी मार डाला होता..... उसे ग्लानी हो रही थी कि कैसे वो अपने माँ बाप का निरादर करती है............. कैसे उनका बार बार अपमान करती है.......और वो लोग उसे बस आगे बढ़ता हुआ देखना चाहते हैं हर बात में बढ़ावा देते हैं ....हर ख्वाहिश पूरी करते हैं,........... परी की नजर में अब अपने माता पिता का दर्जा भगवान् से भी ऊँचा हो चुका था और उसे अब अपने माता पिता पर गर्व का अनुभव हो रहा था
सेमिनार ख़तम होते ही परी घर की तरफ भागी और जाते ही माँ की छाती से लगकर रोने लगीं
“परी बेटा क्या हो गया तुझे”....... “किसी ने कुछ कहा तुझे”........“कॉलेज में कोई बात हुई....
“बता ना”
“माँ मुझे माफ़ कर दो माँ”
“मैं नही समझ पाई जो कुछ भी तुम लोगों ने मेरे लिए किया माँ”
“तुम शहर नही आती तो ताऊ जी मुझे भी मार देते माँ.............तुम लोगों ने मुझे पढाया लिखाया आगे बढ़ाया एक काबिल इंसान बनाया”
“मैंने आज तक बहुत बदसलूकी की है तुम्हारे साथ माँ............. पापा से भी बहुत ख़राब तरीके से बात की है.... आगे से ऐसा कुछ नही होगा......... कभी नही होगा मैं वादा करती हूँ”
“मुझे माफ़ कर दो माँ मुझे माफ़ कर दो”
परी की माँ अपनी बच्ची की आँखों में आंसू नही देख पा रही थीं लेकिन उन्हें अपनी बच्ची में आये इस परिवर्तन पर बहुत ख़ुशी हुई
“मेरा बेटा... मेरा लाल.... मुझे तेरी कोई बात बुरी नही लगती मेरी लाडो...........तू तो मेरी रानी बिटिया है, और मुझे मेरी बेटी पर गर्व है...........मैं फक्र से कह सकती हूँ कि तू मेरी बच्ची है .................... और ये आंसू ना (आंसू पोंछते हुए) बचा के रख जब तेरी विदा हो तब रोना
परी रोते रोते हंस पड़ी
परी ने उस दिन के बाद कभी अपने माँ बाप का दिल नही दुखाया हमेशा उनकी इज्जत की और मान दिया
आज भी परी बस यही कहती है
“ऐ ख़ुदा महफूज़ रख मेरे खुदाओं को
इनकी ऊँगली पकड़ ताउम्र चलना चाहती हूँ मैं”
Written by: Priyanshu saxena