Haan main ek Sardar Hoon-A Sardar’s confession

Harish Chandra (CA (Final) Student & Doing Job in a CA Firm)   (1646 Points)

22 July 2011  

 

 



हाँ मैँ सरदार हूँ



***राजीव तनेजा***



अब यार!…इन लडकियों को हमारा सरदार पसन्द क्यों नहीं आते हैँ भला?”



ये बात तो आज तक अपने पल्ले नहीं पडी



आखिर!..क्या कमी है हम में?”



पता नहीं उन्हें हम सरदारों के नाम से ही करैंट क्यों लगने लगता है?”



अब यार!..इन कमबखत मारियों से लाख छुपाने की कोशिश की कि मैँ सरदार हूँ लेकिन कोई फायदा नहीं



पता नहीं इनको कैसे खबर हो जाती है और



वो ऐसे पागल घोडी के माफिक बिदकती हैँ कि फिर कभी ऑनलाईन होने का नाम ही नहीं लेती



यहाँ तक कि मैने भी कई बारआई डीबदल-बदल केट्राईमारी लेकिन….



हाल वही जस का तस



इन बावलियों को पता नहीं कहाँ से खुशबू जाती है कि सामने वाला सरदार है



एक दिन हिम्मत कर के एक से पूछ ही लिया कि….



चलो माना कि मैँ सरदार हूँ लेकिन आपको कैसे पता चला इसका?”



मैने तो अभी तक आपको अपने चौखटे के दर्शन भी नहीं करवाए हैँ





वैरी सिम्पल”..उसका जवाब था





पर कैसे?”



पता तो चले





इंटीयूशन ….बेबीइंटीयूशन



कुछ लोग तो शक्ल से ही सरदार होते हैँ और कुछ अक्ल से भीवो जैसे मज़ाक उडाते हुए बोली



तुम दूसरी वालीकैटेगरीके हो





हाँ!…मैँ सरदार हूँ”…



सरदार हूँ”…



सरदार हूँ”…मुझे गुस्सा चुका था



आपके लिए ये हँसी-ठिठोली की बात हो सकती है लेकिन मेरे लिए ये फख्र की बात है कि मैँ एक सरदार हूँ





आप सबकी ज़िन्दगी में रौनक लाने वाला कौन?”



एक सरदार”…ना?”





आपकेबैण्डबजे चेहरे पे हँसी लाने वाला कौन?”



एक सरदार!…ना?”





“‘कशमीरसेकन्याकुमारीतक



पँजाबसेनागालैण्डतक



आस्ट्रेलियासेयू.एसतक



चाहेजापानहो या होफिज़ी’….



या फिरअफ्रीकाका कोई छोटा-मोटा देश”..



हर जगह हमारा अपनी कामयाबी का झण्डा गाड चुके हैँ





अरे!…हम सरदार वो चीज़ हैँ जो रोते हुए चौखटों पे भी हँसी की बौछार ला दें



अब ये!..’लतीफेयाजोक्सकहाँ से बनते हैँ?”



अपने ही समाज से!…ना?”



और अगर इस काम में हमारे जुड जाने से आपको इसटैंशनभरे माहौल में



खुशी के दो पल मिलते हैँ तो ये हमारे लिए गर्व की बात है



फख्र की बात है





हमारे जैसा मेहनत-कश इंसान आपको पूरी दुनिया में ढूंढे ना मिलेगा



अरे!..हम वो हैँ जो अपनी मेहनत से रेगिस्तान में भी फूल खिला उसे गुलज़ार बना दें



हम वो हैँ जो पत्थर को भी पिघला दें



खास बात ये कि हम किसी भी काम को छोटा या बडा नहीं मानते



इसीलिए आज हमारे पास….



दौलतहै



शोहरतहै



रुत्बाहै



ताकतहै



पोज़ीशनहै





इंडिया का प्राईम मिनिस्टर कौन?”….



एक सरदार!…ना?”





उनके जैसा पढा-लिखा इंसान तो ढूढे से भी ना मिलेगा



आज़ादी की लडाई में भी हम सरदार ही सबसे आगे थे



पूर्व राष्ट्रपति कौन?”



एक सरदार!…ना?”





अब यार!…ये अच्छे-बुरे तो हर कौम में हो सकते हैँ”..



इसके लिए हमारा सरदारों पर ही भला तोहमत क्यों?”



ठीक है!…माना कि हमारा में कुछ गल्त भी हैँ लेकिन



ऐसे बन्दे किस कौम में नहीं हैँ भला?”



ज़रा बताओ तो



उसके लिए क्या सबको गल्त ठहरा देना जायज़ है?”



नहीं ना?”



तो फिर!…?”





आज जो कुछ….



आसाम’..



बिहार’….



बंगाल’….



आन्ध्रा प्रदेशया फिर किसी पडोसी मुल्क में हो रहा है….



उसे कौन अंजाम दे रहा है?”



क्या सरदार?”



नहीं ना!…”





कोई कौम या मज़हब गल्त नहीं होती”…



गल्त होती है विचारधारा



अच्छे या बुरी विचारधारा वाला इंसान किसी भी कौम या मज़हब का हो सकता है



कोई ज़रूरी नहीं कि वो….



हिन्दूहो केमुस्लिमहो….



सिखहो केइसाईहो



या फिर हो कोई और





मैँ लगातार बिना रुके बोलता चला गया



वो बेचारी सकपकाई सी चुपचाप सुनती रही सब का सब





फिर बस उसने यही लिखा कि



आई एम सॉरी





मैँ बडा खुश था कि चलो एक मोर्चा तो फतह हुआ”…



लेकिन जंग जीतना अभी बाकि है



तो आओ सरदारो!…



आगे बढें और कहाँ दें दुनिया वालों से कि



हाँ!…हम सरदार हैँ



कोई शक?”