Government releases draft rules for new Companies Act
सरकार ने सोमवार को नए कंपनी लॉ को लागू करने से जुड़े ड्राफ्ट रूल का पहला सेट जारी किया। हाल में कंपनी लॉ को संसद की मंजूरी मिली है। इसके कानून के तहत पिछली तारीख से ऑडिटर्स के लिए रोटेशन जरूरी होगा। लिस्टेड कंपनियों को 10 साल या इससे ज्यादा अवधि से मौजूद ऑडिटर्स को बदलने के लिए 3 साल का वक्त होगा। इंडस्ट्री के मुताबिक, मार्केट कैपिटल के लिहाज से टॉप 500 कंपनियां 20-25 ऑडिट फर्मों की सर्विस लेती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले तीन साल में ऑडिटर्स का जरूरी रोटेशन मुश्किल खड़ी कर सकता है.
एक सीनियर ऑडिटर ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया, 'ये नियम पिछली तारीख से लागू किए जा रहे हैं और जब नियम बन रहा था, तो सभी को उम्मीद थी कि इसे आगे की तारीख से लागू किया जाएगा। इंडस्ट्री को नए सिस्टम में आने में 10 साल लगेंगे।' कंपनीज ऐक्ट 2013 के ड्राफ्ट रूल के पहले सेट में कुल 29 में से 16 चैप्टर्स को शामिल किया गया है। संबंधित पक्ष इस पर 8 अक्टूबर तक अपनी राय दे सकते हैं। इसके बाद नए नियम जारी किए जाएंगे। ये डायरेक्टरों, ऑडिटरों और कंपनियों के रजिस्ट्रेशन, बीमार कंपनियों के रिवाइवल, कॉर्पोरेट्स के फाइनैंशल अकाउंट्स, नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल और एपेलेट ट्राइब्यूनल से जुड़े हैं.डिविडेंड पेमेंट और ऐलान, मिसमैनेजमेंट रोकने, फंड और तमाम चीजों से जुड़े चैप्टरों पर ड्राफ्ट रूल जारी किए गए हैं। चैप्टर 10 सबसे विवादास्पद है। यह ऑडिट ऐंड ऑडिटर्स से जुड़ा चैप्टर है। इसके तहत लिस्टेड कंपनियों के लिए अगले 3 साल में ऑडिटर्स बदलना जरूरी है, बशर्ते फर्म ने इस संबंध में अधिकतम 10 साल की सीमा पहले ही पूरी कर ली है। अनलिस्टेड कंपनियों के लिए इस नियम पर फिलहाल विचार चल रहा है.
ऑडिट फर्म डेलॉयट हास्किंस ऐंड सेल्स के मैनेजिंग पार्टनर एन वेंकटराम ने बताया, 'जो ऑडिटर हर साल एजीएम में नियुक्त किया जाता है, वह लगातार 10 साल तक नियुक्त किया जा सकता है। लिहाजा, एक्ट की सामान्य व्याख्या से यह साफ था कि लगातार 5 साल का दो टर्म अगली तारीख से होगा। हालांकि, सरकार अब नियमों के जरिए से इसे पिछली तारीख से करना चाहती है।' साथ ही, फ्रॉड और फाइनैंशल स्टेटमेंट के रीस्टेटमेंट से जुड़े चैप्टर पर भी भारी विवाद है.
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