Bachpan ki maar

Saurabh Maheshwari (B.com,ACA) (5923 Points)

07 January 2013  

 

आजकल दिल्ली में सर्दी का माहौल है. सुबह सुबह उठा तो पाया कि आज ठंड ज्यादा थी. अभी इसी उधेड़बुन में था कि चाय पिया जाए या कॉफी तभी बचपन की यादों में दिल उलझ गया. सोचा क्यूं ना आज हास्यकविता में बचपन को याद कर लें तो लो कर लिया अपने बचपन को याद. यह बचपन भी अजीब था ना दोस्तों. हम चलते हैं काम पर आप मजा लीजिए  हास्य कविता का.

 

 

 

 

टीचर जी!

 

मत पकड़ो कान।

 

सरदी से हो रहा जुकाम।।

 

लिखने की नही मर्जी है।

 

सेवा में यह अर्जी है।।

 

ठण्डक से ठिठुरे हैं हाथ।

 

नहीं दे रहे कुछ भी साथ।।

 

आसमान में छाए बादल।

 

भरा हुआ उनमें शीतल जल।।

 

दया करो हो आप महान।

 

हमको दो छुट्टी का दान।।

 

जल्दी है घर जाने की।

 

गर्म पकोड़ी खाने की।।

 

जब सूरज उग जाएगा।

 

समय सुहाना आयेगा।।

 

तब हम आयेंगे स्कूल।

 

नहीं करेंगे कुछ भी भूल।।