(Poem)

ashish gupta (ACCOUNTANT) (45 Points)

15 November 2010  

नभ में उड़ते पक्षी प्यारे,

चहक रहे है पंख पसारे.

बढ़ते  क्षितिज की ओर ये कहते,

चलो माप ले अम्बर सारे.





हम न रुकेंगे हम न थकेंगे,

मंजिल  को पाकर दम लेंगे.

होगा सार्थक जीवन अपना, 

मन को यही विश्वास हमारे.



बढ़ते  क्षितिज की ओर ये कहते,

चलो माप ले अम्बर सारे.




आंधी-वर्षा चाहे हो पतझड़,

या फिर आये बसंत का क्षण.

दुःख-सुख में समभाव है रखना,

मिट जायेंगे अवसाद तुम्हारे.  

      

बढ़ते  क्षितिज की ओर ये कहते,

चलो माप ले अम्बर सारे.

                                              :- आशीष