नभ में उड़ते पक्षी प्यारे,
चहक रहे है पंख पसारे.
बढ़ते क्षितिज की ओर ये कहते,
चलो माप ले अम्बर सारे.
हम न रुकेंगे हम न थकेंगे,
मंजिल को पाकर दम लेंगे.
होगा सार्थक जीवन अपना,
मन को यही विश्वास हमारे.
बढ़ते क्षितिज की ओर ये कहते,
चलो माप ले अम्बर सारे.
आंधी-वर्षा चाहे हो पतझड़,
या फिर आये बसंत का क्षण.
दुःख-सुख में समभाव है रखना,
मिट जायेंगे अवसाद तुम्हारे.
बढ़ते क्षितिज की ओर ये कहते,
चलो माप ले अम्बर सारे.
:- आशीष
(Poem)
ashish gupta (ACCOUNTANT) (45 Points)
15 November 2010